Mr. Suresh Kabade.
टारगेट 1 एकरमे 100 टन
। बळीराजा
जमीनकी अच्छी तरहसे मशागत करना ,
जैसे दो बार प्लावू चलाना उसके साथ 1 एकरमे 5/6 ट्रेलर गोबर का खाद डालने के तुरंत 5 फिट की नाली निकलना. 15/20 मई तक ग्रीन manual के लीए 1 एकर् में 25 किलो धेचा नालिमे फेकेंगे और तुरंत पाणी देना है .
21/30 दिनमे 1 एकरको 1 बैग यूरिया देना है. फिर 50 दिनके बाद आपको धेंचामें कही कही फूल नजर आएंगे उस वक्त उसको जमीनमे गाड देना है.उसके लीए आपको धेन्चा हातसे दबाना है फिर उसके बाद मेडके उपरसे पॉवरटिलर चलाना है. रिव्हर्स में तो पूरा मेडकी जो मीट्टी है वो नालिमे धेंच्याके ऊपर गिरेगी ऐसे आपको दो बार पॉवर टिलर चलाना है धेंच्या पूरा मीट्टी में दब जायेगा और धेंचा के उपर मेड बन जायेगा ओर
नाली की जगा मेड बन जाएगी.एक एकरमें हमने धेंचा लगाया तो समजिएगा 10 ट्रेलर गोबरखाद के बराबर है.धेंचा करनेसे सेंद्रिय स्वरूपका नत्र मिलाता है.
बीज प्रक्रिया:--1 लिटर पाणीमें 20/ परसेंट क्लोरो 2 मिली.
बावीस्टीन:-- 1 लिटर पानी में 2 ग्राम.
जर्मीनटर:-- 1 लिटर पाणी में 5/10 मीली.
गन्नेका बीज 1 आंखका लगायेंगे.
दुरी:--आंख से आंख 2 फिट.
गन्ना लगते समय नाली के बगलमें जैसे की जिस बगलमे सूर्यका प्रकाश ज्यादा मिलता है उस नाली
के बगलमे पहले कुदालिसे नाली निकालके उस नालिमे फिर 2 बैग डीएपी, 4 किलों फरटेरा, 2 किलों थिमेट इन सबका मिश्रण करके नालीमे डालेंगे उसके ऊपर मीट्टी दबाएंगे ध्यान रहे जबभी खाद डालना है वो मिटटी के अन्धर डालना है तभी आपको रिजल्ट मिलेंगे.फिर उस नालिमे पानी छोडके पानीमे गन्ना हल्कासा दबाएंगे.
30 दिनमे:-- गन्नेके अंकुरण के बगलमे कुदालिसे नाली निकालेंगे उस नालिमे 1 बैग यूरिया 1 बैग अमोनियम स लफेट, 1 बैग पोटाश (potash) डालेंगे और उसके ऊपर मिटटी दबाएंगे.
65/70 दिनमे:- गन्नेका मातरु कोम्ब (वाटरशुट) नीकालेंगे वाटरशुट निकालनेसे टीलर जल्दिसे एक साथ बढ़ेंगे और आपके हिसाबसे उसमे टिलर आएंगे. उस वक्त आपको 2 बैग 12/32/16, 1 बैग यूरिया, 1 बैग अमोनियम सल्फेट देना है 1 बैग पोटाश देना है इस बार खाद देनेका तरीका थोडा अलग करेंगे टिलरके बगलमे खाद देना है और उस बगलकी मेडकी मिटटी उस खाद के ऊपर डालना है.तो पूरा खाद मिटटीके निचे गया और टिलर को भी थोडा थोडा मिटटी का सपोर्ट मिलेगा
85 दिनमे:-- इस बार हमको मायक्रोनुटरन्ट देना है जैसे की 10 किलो जिंक सल्फेट, 25 किलो मैगनेशियम सल्फेट, 10 किलो सल्फर.(गंधक्), 5 किलो मैग्निज सल्फेट, 3 किलो बोरोन ये पूरा मायक्रोनूटरनन्ट गोबर के खादमे मिलायेंगे.इसके लिए 200/300 किलो गोबर के खादमे 8/10 दिन तक रखेंगे ताकि सब चिलीटेड फार्ममें तयार हो. इससे आपको रिजल्ट भी बडिया मिलेंगे.इस बार खाद देते समय 65 दिनमें जिस बगल में खाद दिये थे उसके दुसरे बाजूमे खाद डालेंगे और उस बगलकी मेड की मिटटी कुदाली के सहायतासे खाद के ऊपर डालेंगे तो खाद मिटटी के अन्धर जायेगा और थोडा थोडा टिलर को भी मिटटी का सपोर्ट मिल जायेगा.
105/110 दिनोमे:--पॉवर टिलर की सहायतासे मिटटी लगाना है.ध्यान रहे पॉवर टिलर आपको रिवर्स चलाना है. उस वक्त आपको 2 बैग डी.ए.पी.,2 बैग यूरिया,और 1 बैग पोटाश (potash) देना है. और 2 बैग सेकंडरी देना है.
135/140 दिन में:--इस बार पॉवर टिलर के रिजर के साथ चलाना है.इस बार सीधा पॉवर टिलर चलाएंगे. 1 बैग यूरिया और 1 बैग पोटाश (potash) देना है
165/170 दिन में:--पत्ते निकलना है ध्यान रहे पत्ते निकलते वक्त पत्ते एक ही नालीमे रकना है और एक नाली खुला रखना है.उस खुले नालिके दोनों बगल में कूदालिसे नाली निकालके उस नालीमे 2 बैग 12/32/16, 1 बैग यूरिया डालके उसके ऊपर मिटटी डालेंगे.टोटल 7 बार खाद दीये लेकिन हर बार मिटटीके अंदर ही खाद दिया तो इसका ये फायदा होता है की पूरा खाद मुली के नजदीक मिल गया.तो उसका रिजल्ट भी बडिया नजर आयेगा.उपरसे जब आप खाद देते है तो आपको इतना बडिया रिजल्ट कैसे मिलेगा.अगर आपको अवरेज बढाना है तो कष्ट तो लेना ही पडेगा ना है ना.
225 दिन में और एक बार पत्ते निकालना है. अगर आप हात ऊपर करके देखिये वहा तक पत्ते आपको निकालना है. ध्यान रहे 170 दिन में पत्ते निकालते वक्त जो नाली आपने खुला छोड़ा था उस नालिमे इस बार पत्ते डालना है.पत्ते निकालनेसे गन्ने का आकार बड जाता है.और एक फायदा ये होता है जो टिलर खाद खाके मर जाते है वो भी टिलर पत्ते के साथ निकल सकते है. ध्यान रहे 5 फिट डिस्टन्स ×10 फिट:--50
स्केअर फिट में हमको 50 से 55 गन्ने चाहिए तभी हम
एक एकरमे 43000 से 45000 हजार तक पा सकते है.और एक गन्ने का वजन 2.5 आ गया तो आसानिसे 100 टन तक जा सकते है.इसके लिए आपको 100 परसेंट गैप फिलिंग बहुत जरूरी है.गैप फिलिंग के लिए
प्लान्टेशन करते समय आपको एक एकर के लिए 500 1 आंख के गन्ने नालिके दुसरे बगलमे प्लान्टेशन करना जरूरी है.
स्प्रे:-
30 दिन के बाद:- मायक्रोनूटरनट 5 मिली 1 लिटर पानी में और 19/19/19, 1 लिटर पानी में 7 ग्राम.
60 दिनमे:--मायक्रोनूटरनट 10 मिली 1 लिटर पानी में
और 12/61/0 , 1 लिटर पानी में 10 ग्राम.
90 दिनमे:--मायक्रोनूटरनट 10 मिली 1 लिटर पानी में और 0/0/50, 10 ग्राम 1 लिटर पानी में.
ड्रीचिंग:--
प्लान्टेशन करने के बाद 35 दिन में:--azatobactor 10 मिली , 1 लिटर पानीमे और p.s.b. 10 मिली 1 लिटर पानी में.
50 दिनमे:--azatobactor 10 मिली 1 लिटर पानी मेंऔर p.s.b. 10 मिली 1 लिटर पानी में और k :-mobilyjar 10 मिली 1 लिटर पानी में.
65 दिनमे:--azatobactor 10 मिली 1 लिटर पानी मेंp.s.b. 10 मिली 1 लिटर पानी में और k:-mobilyjar 10 मिली 1 लिटर पानी में.
80 दिनमे:-- azatobactor 10 मिली 1 लिटर पानी मे p.s.b. 10 मिली 1 लिटर पानी में और k:--mobilyjar 10 मिली 1 लिटर पानी में.
Imp:---
1:---गन्ने का जो बीज होता है ओ साइज में बड़ा हो उसकी पेरी 8 से 9 इंच का हो उसके पत्तो का साइज बड़ा हो.
2:--गन्ने का जो बीज होता है वो 9 से 10 महीने का हो खुदका बिजका (seed ) प्लाट हो उसको 9 महीने तक नत्र का खाद देना चाहिये.ये ध्यान में रहे उसके पत्ते नहीं निकलना और बीज का (seed) प्लांटेशन करते वक्त अच्छे कोलीटि के गन्ने का सिलेक्क्ष्न करे जैसे 8 से 9 इंच का पेरी नीचे के पेरी के साइज 5 से 6 इंच तक
चाहिये. ऐसा करनेसे आपका खुदका बीज प्लाट (seed) एक नम्बर का हो जायेगा जो quality आपको बाहर नही मिलेगा.अच्छा quality का बीज होने से आपका 1 एकरमे 25 से 30 टन तक अवरेज बड सकता है.
3:--गैप फीलिंग करने के लिए 1 एकरमे xtra 500 , 1 आंखकी गन्ने दुसरे बगलमे लगाना है.
4:--व्हायरस के टिलर निकलके उस जगा अच्छे नरसरी लगाये.
5:--खाद देते वक्त हर बार मिटटी के अंदर खाद दीजिये.
6:--ड्रीचिंग करते समय सुबह पानी देने के बाद शाम 4 बजे ड्रीचिंग करे.
7:--जीवाणु की ड्रीचिंग करते समय उसके साथ बुरशी नाशक या किटक नाशक का ईस्तेमाल मत करे.
8:--हमेशा 1 बैग यूरिया के साथ 10 किलो निम् का पेंड या नीमिन 250 मिली 2 दिन पहले यूरिया को कोटिंग करना ना भूले.
गन्ने में और भी नये नये प्रयोग हो रहे है.अभी मै 3/4 सालसे 6/2 फिट पर गन्ना लगा रहा हु.उसका भी अवरेज 100 टन के उपर आ रहा है. सेकंड का भी अवरेज 65/70 टन तक जा रहा है. इस साल 6 एकर मे बीज का प्लांटेशान 6/2.5 पर प्रयोग कर रहा हू.
थोडा 6/3 पर और 6/4 पर भी प्लांटेशन किया है.उनका भी रिजल्ट देखना है 4/5 सालसे खुदकही बीज के प्लाटसे अच्छे quality के गन्ने निकलके उसका टिशु कल्चर बना रहा हू 2 /3 स्टेजमें ही गन्ने का साईंज अच्छा आ रहा है. सभी किसान भाई के अनुरोधसे 6 एकर बीज का ( seed) प्लानटेशन भी किया ताकि अच्छे quality के बीज सभी को मिले अच्छे quality के बीज मिलनेसे 25/30 टन तकका अवरेज बढ सकता है.ये मेरा खुद का अनुभव है.इसके साथ इस सालके बीज के प्लान्टेशनमें संजीवक का भी प्रयोग कर रहा हू जैसे की iba, 6ba, projib उसके भी रिजल्ट अच्छे आ रहे है.इतना ध्यान रहे की अगर आपको अवरेज बढ़ाना है तो बीज का प्लानटेशन खुद करना है.जैसे की मराठी में संत तुकाराम महाराज जी ने कहा है शुद्ध बिज पोटी फले रसाळ गोमटे जैसे की अगर अच्छा बीज हो तो फल भी मिटे होते है.
मेरी जो हिंदी की समज है उस समज से लिखा हू लिखते समय भाषा की अडचन से कही गलत शब्द लिखा गया. हो तो माप कीजिये.
सम्पर्क:-
श्री सुरेश आप्पासो कबाड़े.
मु. पो :-कारंडवाडी. ता :-वालवा.
जिल्हा :-सांगली. पिन. कोड :-416301.
मोबा:-9403725999.
subsoiler
बळीराजा.
नमस्ते किसान भाईयो आज हम गन्ना लगाने के पहिले जो हम खेतमे मेहनत करना है उसके बारेमे सीखना है।
जो जो बारीकिया है वो सब आपको बतानेकी कोशिश करूंगा।और इसका उपयोग से जरुर गन्ने का अवरेज (average) बढाने के काम आयेगा ये मेरा विश्वास है। हमारे मराठी में एक कहावत है आदी पाया मग कळस याने की इमारत का foundeshn अगर मजबूत है तो इमारत को उपर जानेसे आपको कोही रोक नही सकता
तो आज हम सबसे पहिले अपने खेत का अभ्यास करना है। क्यों की जिस खेत ने हमको आज तक इतना
दिया है और वुसको इसके बदले हमने क्या दिया है ये भी आप आपके मन को खुद पुछिये तो आपको उसका तुरंत जवाब मिल जायेगा। बरहाल जिस खेतमे नोरपा गन्ने का फसल 12 से 18 महीने तक फिर जड़ी और त्रिजड ऐसा मिलके खेतमे 3 सालसे 3.5 सालके भी उपर खेत में गन्ना खेतमे रहता है। इसके कारण अगले गन्ने के फसल के लिए जमीनकी अच्छी तरहसे मेहनत करना है। इसके लिए हमको सबसे पहले सबसोयलर
(Sabsoyalar) का इस्तेमाल करना है। गन्ना टूटने के
बाद कम से कम 20 से 30 दिन तक पहले जमीनको अच्छी तरहसे सुखाना है तो moisture कम हो जाएगी और उसके बाद सबसोयलर चलाना है। जमीन अच्छी तरहसे सूखने से सबसोयलर का काम भी अच्छे तरहसे हो जायेगा। अब आपके मनमे ये विचार आएगा की सबसोयलर की क्या जरूरत है तो जो गन्ना आपके खेतमे 3 से 3.5 साल तक रहता है उसके बिच हम गन्ने के फसल को बहुत ज्यादा मात्रा में पानी देते नहीं बल्कि
उस गन्ने के खेत में पानी खड़ा करते है। जिसके कारण
12से 15 इंच जमीनके निचे की मिटटी हार्ड या कडक
बनती है।जो पानी हम गन्ने को देते है उसका जल निकास नही होता इसीलिए हमको सबसोयलर चलाना चाहिये जो जमीनकी निचे जो हार्ड या कडक मिटटी बन गयी है उसको सब्सोयलर की मदत से वो हार्ड मिटटी तोडता है जड़ के नजदीक जो solti soiel जमा होते हैे उनका भी जल निकास हो जायेगा सब सोईलर 1.5 से 2 फिट तक जमीन के निचे जाता है जिसके करन अब पानी का अच्छी तरहसे जल निकास हो जायेगा और जमीन की कोलीटी भी बढ जाएगी गन्ने का अवरेज भी बढ़ेगा और जमीन के अंन्धर सॉल्ट की मात्रा भी नहीं बढ़ेगी। सबसोयलर चलाते वक्त पहले मेडके उपर रोटावेटर चलाएंगे रोटावेटर चलाने के बाद मेडके उपरसे ट्रेक्टर चलाएंगे और नाली में सबसॉयलर लगायेंगे इसके बाद 15/20 दिन जमीन सुखाएंगे और फिर हल चलाएंगे हल चलाते समय भी हमको खड़ा और आढा ऐसे दो बार हल चलाएंगे। तो पहली बार हल चलाने के बाद 1 महिना उस मिटटी को सुकने देंगे और 1महीने के बाद जो ढेकला है ओ 1 महिना सुकने के बाद थोडा स्वाप्ट हो जायेगा फिर उसके उपर हम रोटावेटर चलायेंगे फिर 4 से 5 दिन बाद दूसरी बार हल चलाएंगे उसके बाद 15 मई तक तेज धुप में और मिटटी सुख जाएगी.उस दरम्यान एक एकर को कम से कम 5 ट्रेलर गोबर का खाद देना है।उसके तुरंत उसके उपर रोटावेटर चलायेंगे ताकि वो गोबर तेज धुपसे बच जायेगा। गोबर के अन्दर के जीवाणु सुरक्क्षित रहे पूरा गोबर मिटटी के अन्दर जायेगा और उसके बाद हम 4.5 से 5 फिट की नाली निकालेंगे अच्छी मेहनत होने के कारण आपको ढेकला नहीं दिखाई देगा पूरी मिटटी के अलग अलग कण हो जायेंगे और उस खेतमे आप चलेंगे तो आपको गालीचे के उपरसे चलनेका आनंद मिलेगा ज्यादा चल भी नहीं सकेंगे आपके पाव भर आयेंगे और इस मेहनत का रंग आपको गन्नेके फसल में दिखाई देगा। अच्छा तो आज हम यही पर रुकते हुवे यही आपसे आशा करते है की ये सारी चीजो पर आप जरुर अमल करेंगे।
श्री:- सुरेश आप्पासो कबाडे.
पोस्ट:- कारन्डवादी
तहसिल:-वालवा
जिल्हा:-सांगली
पिन कोड:-416301
मोबो :-9403725999
नोट:-सबसोयलर का इस्तेमाल उन जमिनोमे ज्यादा उपयोग होगा जो जमींन काली मिटटी की होती है solt का प्रमाण ज्यादा होता है जिस जमीन में पानि का जल निकास नही होता जिसका ph 8 से 8.5 तक है उस जमीन में प्रयोग कीजिये जिस जमीन में पानी रहता नही उस जमीन में सबसोयलर की जरूरत नही जिस जमीन में जरूरत नही उस जमीन में सबसोयलर छोड के बाकिके जो मेहनत करने को कहा है वो जरुर करे।
खाद
बलिराजा
नमस्ते किसान भाईयो पीछली बार आपने सबसोयलर के बारेमे जानकारी ली है। इस बार हम हरा खाद याने ग्रीन मैन्युअल के बारेमे जानकारी लेनेवाले है इस के लिए हमको ढेंच्या के बारेमे जानकारी लेना है। अगर एक एकर में धेंच्या किया तो उसका जो खाद हमें मिलता है वो 10 ट्रेलर गोबरके खाद के बराबर है। ऐसे हमारे कृषि visheshadna का केहना है। तो आपके ध्यान में धेंच्या का महत्व आया होगा। आजकल गोबर का खाद भी बड़ी मुश्किलसे मिलता है हमको जितना चाहिये उस प्रमान में भी नहीं मिल पाता फिरभी समजो मिल भी पाता है तो हमको जिस कोलिटी का चाहिए उस कोलिटी का नहीं मिलता। और उसकी कीमत भी इतना ज्यादा होता है की चाहकर भी हम उतना गोबर का खाद नहीं ले सकते। तो गोबर के खाद का पर्याय के रुपमे हमको ध्येंच्याको अपनाना चाहिये। और आपको 45 से 50 दिनमे हरा खाद मिलनेवाला है। अगर आपका गन्ना लगाना jully या ऑगस्ट में तय है तो आपको 15 में से 31 में के दरम्यान 4.5 से 5 फिट की नाली निकलना जरूरी है। नाली निकलते समय आपको जमीनकी लेवल के अनुसार नाली निकालिए फिर एक एकर में 25 से 30 किलो धेंच्या नालिमे डालना है। नालिमे डालते समय ध्येंचा एक लेवल से डालिए ताकि सब जगा अंकुरण एक जैसा हो और उसके बाद तुरंत पानी दीजिये 15 से 31 में के दरम्यान बहूत हीट होती है।इसके लिए 31 में तक आपको हर 5 से 6 दिनमे पानी देना पड़ता है। उसके बाद जैसे ही जून का मानसून चालू हो जायेगा तो आपको पानी भी बार बार देना नहीं पड़ेगा। और जून की हवा लगते ही धेंच्या तेजीसे बढना शुरू हो जायेगा। इसी बिच 21 से 30 दिनमे आपको एक एकर में 1 बैग यूरिया डालना है उसके बाद 50 दिनोके दरम्यान धेच्या में फूल आना शुरू हो जाता है। तो समजिए धेंच्या machor हो गया है धेंच्या को उखाडके देखेंगे तो उसके जड में छोटे छोटे गोल गोल आकर के गाठीया दिखाई देंगे वो जो गाठीया है उसमे सेंद्रीय स्वरूप का नत्र होता है।अब धेंच्या को हम हात से नालिमे दबा देंगे। और नाली के बगल में जो धेंच्या है उसे हात से उखाडके नालिमे डालेंगे। ये सब करनेमे आपको 1 एकर के लिए 4 से 5 मजदूर में काम
जायेगा। इसके बाद मडके उपरसे दो बार पॉवर टिलर रिवर्स चलाने के बाद मेडकी पूरी मिटटी धेंच्या के उपर गिरेंगी और धेंच्या के उपर नया मेड बन जायेगा। और जिधर पहले मेड थी उस जगा अब नाली हो जाएगी। इसके सिवा जब आप पॉवर टिलर चलाने वाले है उसके पूर्व 1 एकर के लिए 4 से 5 बैग सुपर फोस्फेट भी डाल सकते है जिसके कारन धेंच्या जल्दी सड जायेगा। एक एकर धेंच्या से हमे 8 टन तक हरा खाद मिलता है और 32 से 35 किलो नत्र मिलता है। इसके सिवा जमिनका जल निकास बढ़ जाता है। जमीनसे स्वाल्ट का भी शोषण धेंच्या करता है।पूरा जमीन की कोलीटी में सुधार आता है।और धेंच्या के उपर मिटटी गिरनेसे सडनेका काम भी फ़ास्ट होता है। गन्ने का प्लान्टेशन करनेसे पहिले ये ध्यान रहे की आपको अच्छा avrej निकालनेके साथ जमीन की कोलिटी भी अच्छा रखना है।
श्री:- सुरेश आप्पासो कबाड़े
ग्राम:-कारंदवाडी. तहसील:-वालवा. जिल्हा:-सांगली.
मोबा.9403725999
बीज
बळीराजा
नमस्ते किसान भाईयो पीछली बार आप हरा खाद याने धेंचा के बारेमे विस्तार से जानकरी ली।इसके सिवा जमीनकी मेहनत कैसे करना है और उसके साथ सबसोयलर के बारेमे भी जानकरी ली। हल कैसा चलाना है ये सब जानकरी विस्तार से ली आज हम co 86032 के बीज के प्लाट के बारेमे जानकरी लेना है। co 86032 के बारेमे गलत फेहमी है जैसे की गन्ना जाडा नही होता उसके टिलर कंट्रोल नही होते ,एवरेज अच्छा नही मिलता ये बात उतनी सही नही है मेरा तो स्पष्ट मानना है की आज co 86032 के मुकाबले अच्छा बिज आज तो नही है co 86032 में बीज के बहुत से प्रकार ह, उधा: उसमे कम साईज के गन्ने ज्यादातर देखने को मिलते है। उसके पेरी के साईज भी छोटे होते है,उसके पत्ते खडे होते है उसमे टिलर की संख्या भी ज्यादा होती है ,उसके बढने की स्पीड भी धीमी होती है अगर उस टाइप के गन्ने आप लगायेंगे तो आपको अवरेज avrej कभी भी अच्छा नही आ सकता। उसी जगा अगर आपने 86032 में जो जाडा गन्नेका बीज (जिसको महाराष्ट्रा में निरा 86032के नामसे जाना जाता है) लगवाएंगे तो आपको उमीद से ज्यादा अच्छा रीजल्ट मिलेंगे। इसके सिवा इसका रीकव्हरी अच्छा होने के कारण हार्वेस्टिंग भी दुसरे गन्नो के मुकाबले सही समय पर होता है। ज्यादा परेशानीका सामना नही करना पडता।
किसानो और फैक्टरी दोनोको उपयुक्त सिद्ध कर चूका है ये व्हरायटी।
शुद्ध बीजा पोटी फळे रसाळ गोमटी ऐसे अच्छे बीजोका वर्णन संत तुकाराम महाराज जी ने कहा है आज वो बात सही लग रही है। अगर आपको गन्नेका एवरेज बढाना है ,तो आपको बीज के प्लाट को प्रायोरटी देना चाहिये। और
खुद का बीज का प्लाट बनाना चाहिये क्योकि आप खुद जो बीज के प्लाट बनाओगे उस कोलिटी का बीज बाहर कही भी नही मिलेगा। ध्यान में रहे अगर अच्छे बीज आप बनायेंगे तो आप एक एकर में 25 से 30 टन तक का एवरेज बढा सकते है।ऐसा मुझे खुदको अनुभव आया है। एवरेज बढाने का फायदा सिर्फ नोरपा गन्ना के सीवा जडी और त्रिजड में भी मिलेगा इसके सीवा अच्छा कोलिटीके बीज होनेके कारण गन्ने में व्हायरस याने घास जैसी f वाले गन्ने या शूट बोरर या बंची top इनका प्रसारण भी कम होता है।वही आप बाहर के कम दर्जे का बीज या जडी के बीज का इस्तेमाल करेंगे तो उस प्लाट में ज्यादा प्रमाण में व्हायरस ,शूटबोरर, बंचि top इत्यादी रोग दिखाई देंगे। जिसके कारण आपको नोरपा के सीवा जडी में भी आपका एवरेज कम आनेके वजहसे नुकसान का सामना करना पडता है।त्रिजड तो आप रख भी नही सखेंगे इतने गन्ने में व्हायरस बढ़ जाता है।जिसके कारण गैप्स भी ज्यादा बढ़ते है तो हम ज्यादा एवरेज निकालनेके उदिष्ट से भटक जाते है इसीलिए हमको अपना खुद का बीज का प्लाट करने की आवश्यक्यता है आज तक बहुत से ऐसे किसान भाई देखे है जो खेतमे तो बहुत मेहनत करते है
गोबर के खाद पर खर्चा करेंगे सब मेहनत अच्छी तरहसे करेंगे लेकिन उनका खुदका बीज का प्लाट करनेकी प्रती बहुतही उदासीनता दिखाई देती है और यही मानसिकता हमको बदल देने की आवश्यकता है। आपको अगर एवरेज बढ़ाना है तो खुदका बीज का प्लाट करना सीखिए तभी आपको अपने टारगेट तक पहुचनेका रास्ता मिल सकता है। हमारे मराठी में कहावत है आधी पाया मग कळस इसका मतलब है पहले हम फाऊंडेशन मजबूत करे तभी उसके उपर हमारी सपनोंकी मंझील खड़ा कर सकते है।
तो पहले हमको अच्छे बीज के प्लाट को ढूंडना है ऐसा गन्ने का प्लाट हमे ढूंडना है। जिस प्लाट में सभी गन्ने साईज से बड़े याने जाडा हो और, उस प्लाट में से सबसे जाडा जो गन्ना हो वो सिलेक्ट करेंगे ,उस गन्ने की सबसे नीचे के पेरी के साइज 6 इंच तक होना चाहिये। उसकी जो पेरी है उसकी लंबाई 9 से 10 इंच तक चाहिये। ईसके सीवा पुरे गन्ने की साईज जाडा चाहिये ऐसे कोलिटे के गन्ने हम सिलेक्ट करेंगे और सिलेक्ट करते समय भी हमको ज्यादा कल्ले जिसमे है उसमेसे गन्ना सिलेक्ट करना है। ताकि हमे गन्ना जाडा भी चाहियेे और उसको ज्यादा टिलर भी चाहिये उस गन्ने के जो मुलत विशेषताये है वो पूरा उसमे आ जाए। ये सब सिलेक्क्षन की वजहसे मुमकीन है । जैसे की मूल गन्ने की तरहा जाडा होने के गुण उसके सीवा टिलरे ज्यादा आने के गुण ये तबी मुमकिन है जब हम अच्छे गन्ने सिलेक्ट करेंगे तभी उसमे ये सभी अच्छे गुण आ सकते है । सिलेक्क्षन करनेसे गन्ने का कोलीटी लेवल बढ जाता है। एक एकर से हमको 43000 के संख्या मिलनेवाली है वो सब जाडा और एक साइज के मिलने वाले है ।और एक गन्ने का वजन 2,5 का मिल गया तो 100 टन तक आप आरामसे जा सकते है ।और यही ज्यादा एवरेज का फायदा आपको जडी और त्रिजड में भी मिल जाता है।
तो आपका खुदका बिज प्लाट होनेसे कितना फर्क पडता है वो आप समज गये होंगे बीज का प्लाट करते समय बीज की आयु 10 महिनेका चाहीये ।अगर आप को jully में गन्ना लगाने का आयोजन है, तो आपके गन्ने का बीज सप्टेम्बर में लगाना चाहिये ताकि अगले साल jully में गन्ना लगाते वक्त उसका आयु 10 महिनेका होजायेगा। इसके सीवा बीज का प्लाट का गन्ना नीचे गिरा हुवा नही चाहिये ,अगर गीर गया तो 15 दिन के अंधर उसके पेरी पर जड़े निकलना शुरू हो जायेगा । इसीलिए पूरा प्लाट खडा चाहीये उसको फूल नहीं आना चाहिए, प्लाट एकदमसे निरोगी चाहिए उसमे बुरशी रोग या शूट बोरर, बंचीटॉप, व्हायरस इन सबका किसीभी प्रकार का प्रादुरभाव नही होना चाहिए । इसके लिये आपको प्लानटेशन करते समय बीज प्रक्रीया करनेकी बेहद आवश्यक है । इसके लिये आपको 1 ली पानी में 2 ग्राम बाविस्टिन लेना है बाविस्टिन से आपको बुरशी रोग नही आयेगा । इसके साथ 20/ परसेंट वाला क्लोरो पायरी फोस phos 1 लीटर पानी में 2 मिली लेना है । क्लोरो से आपके गन्ने में शूट बोरर या आग्रतना छेदक का बंदोबस्त हो जायेगा । फिर अच्छे जर्मीनेशन के लिये बावसकर टेक्नोलोजिक का जर्मिनेटर लेना है ,उसके साथ 1 लिटर पानी में 10 मिली लेना है । ये तीनो का अच्छी तरहसे मिश्रण करके उसमे बीज 10 से 15 मिनिट तक रखिये और फिर प्लानटेशन शुरू करे । इसके सीवा आपको जीवाणु की बीज प्रक्रीया करना है तो क्लोरो बाविस्टिन का बीज प्रक्रीया होने के बाद गन्ने को सूखने दो उसके बाद 10 लिटर पानी में 1 लिटर acato bactor और 1 लीटर p.s.b.(स्फुरद उपलब्द करने वाले जीवाणु) में बीज 20 मिनिट तक रखिये । और फिर गन्ना सूखने के बाद प्लान्टेशन शुरू कीजिये बीज के प्लाट के लिए रेगुलर खाद से ज्यादा मात्रा में खाद देना पड़ता है । उसकी वजहसे गन्ने का साइज भी बढ़ेगा उसके साथ गन्ना का coliti भी बढेगी और नत्र की ज्यादा मात्रा देने के कारन गन्ने के आंख का साइज भी थोडा बढा होने के साथ आंख का कलर भी हरा हो जायेगा गन्ने में नत्र और ग्लूकोज का प्रमान भी बढ़ जाता है।
उसका उपयोग गन्ने के अच्छे अंकुरिकरन के लिए होता 9 महीने तक गन्ने को नत्र देना पडता है । उसके कारण गन्ने में नत्र और ग्लूकोज का प्रमान बढता है। इसके साथ स्फुरद और पालाश दो हप्तो में देने की शिफारीस है । टोटल 1 हेक्टर में हमको नत्र:--670, स्फुरद:--225, पालाश:--225 देने की शिफारीस है यही अगर एक एकर में देना है तो उसका प्रमाण,नत्र:--268, स्फुरद:--90,और पालाश:--90 ऐसा सिफारिश है
खाद:--प्रमान 1 एकर में
1:--प्लान्टेशन करते समय,नत्र:--20 किलो (44,किलो यूरिया)
स्फुरद:--68 किलो (424 किलो सुपर फोस्पेट)
पालाश:--68 किलो (113/2 किलो पोटाश)
2:-- प्लान्टेशन से 30 दिनमे नत्र:--20 किलो (44 किलो यूरिया)
3:--प्लान्टेशन से 60 दिनमे नत्र:--44 किलो (96 किलो यूरिया)
प्लान्टेशन से 70 दिनमे पहले वाला जो अंकुर है (mother shut) उसको निकालना है ताकि टिलरे एक साथ जल्दी बढे और हमको जो एक एकरमे गन्ने की संख्या चाहिये वो मिले।
4:--75 दिन में मायक्रोनूट्रन्ट खाद देना है।
जिसमे सल्पर:--10 किलो, मैग्नेशियम:--10 किलो, फेरस:--10 किलो, झींक :-10 किलो और बोरोन :--3 किलो, मैगनिज :--5 किलो इन सबको कम्पोस्ट के खाद या गोबर के खाद 200 किलो लीजिये और, उनमे ये सब खाद मिलाके 8 दिन तक रखिये ताकि सब चीलिटेड हो जाये, और फिर खाद दे।
5:-- प्लांटेशन के 90 दिन बाद:-- नत्र:--24 किलो (52 किलो यूरिया)
6:- -प्लांटेशन के 120 दिन बाद,नत्र:--24 किलो (52 किलो यूरिया
7:--प्लांटेशन के 135 दिन में पॉवर टीलर के सहायतासे मिटटी चढाना है । पहली बार रिवर्स चलाके मिटटी चढाना है । और दूसरी बार पॉवर टिलर की सहायता से रिजर डालना है ,उस समय आपको नत्र:--46 किलो (100 किलो यूरिया)
स्फुरद:--22 किलो (138 किलो सुपर फोस्फेट)
पालाश:--22 किलो (36/8 किलो पोटाश) देना है।
8:--मिटटी चढाने के 30 दिन बाद,नत्र :-22 किलो (48 किलो यूरिया)
9:--मिटटी चढाने के 60 दिन बाद नत्र :--22 किलो (48 किलो यूरिया)
10 :--बीज के लिये गन्ना काटने के पूर्व 1 महिना नत्र :--46 किलो (100 किलो यूरिया)
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संपर्क:--श्री सुरेश आप्पासो कबाडे।
मु.पो.:--कारंदवाडी. तहसिल.वाळवा.जिल्हा. सांगली.
मोबो.9403725999 , Maharashtra.
गन्ने का प्लांटेशन
बळिराजा.
प्लांटेशन करनेका आधुनिक तरीका
नमस्ते किसान भाइयो,
अभीतक आपने सबसॉयलर के बारेमे जानकरी ली उसके फायदे क्या है ये भी जान ली है। उसके साथ हरा खाद धेंचा के बारेमे भी जानकरी ली हरा खाद का निर्मान करना कितनी आवश्यक पूर्ण बात है अपनी जमीन जिन्दा रखने के लिए ये भी समज गये होंगे।इसके साथ गन्ने के बीज के क्या क्या फायदे है इसका भी आपने अभ्यास किया।आपको बीज के प्लाट किस तरीकेसे करना है उसकी भी जानकरी मिल गयी है।और अब गन्ने का प्लांटेशन किस तरीकेसे करना है उसमे जो जो बारीकिया है उसके बारे में भी जानना है तो इसका आपको जरुर लाभ होगा।
हरा खाद गाडने के बाद जो नया मेड और नाली तयार हो गया है उसी मेड के नालिमे गन्ने के प्लान्टेशन का आयोजन करना है। उसके लीए प्लान्टेशन के पहिले बेसल खाद देने का आयोजन करना है। सबसे पहिले आपको नाली के जिस बगल में सूर्य कि किरने ज्यादा पडते है उस बगल में गन्ना लगाना है। ताकि सूर्य की किरने पडनेसे गन्नेका अंकुरी करन अच्छा होता है। इसके सीवा नालिके एक बगलमे प्लान्टेशन करनेसे दूसरा फायदा ये है की अगर ज्यादा बारिश हो गया तो एक बगल में प्लान्टेशन होने के कारण खतरा नही होता है। पूरा बरसात का पानी भी बाहर निकालनेके लिए आसानी होती है।तो नालिके एक बगलमे कूदालि से नाली निकालके उसमे हमे बेसल खाद देना है।उसके के लिए 2 बैग डी.ए.पी.,3 किलो थाईमेट और 8 किलो फरटेरा लीजिये,थाईमेट का उपयोंग धेंचा के उपर जो किटक होते है उसके नियंत्रन के लिए और फरटेरा का उपयोग आग्रतनाछेदक के नियंत्रन के लिये करना है। कुदालिसे एक एकर नाली निकालके उस नालिमे खाद डालके उसके उपर मिटटी चढाने के लिये 6 मजदूर में काम होता है।नाली निकालते समय 4 इंच जमीनके नीचे तक मिट्टी की खुदाई करना जरूरी है।तभी नाली निकालने का उपयोग हो जायेगा और नाली निकालने के बाद सभी खाद नाली में डाल के उसके उपर मिटटी डालना है। ध्यान रहे जितना आप मिटटी के अन्धर जडी के पास खाद देंगे उतना अच्छा आपको खाद के अच्छे रिजल्ट मिल जायेंगे।इसके साथ गन्ने का प्लान्टेशन करने के लिए 1 आंख का प्लांटेशन का आयोजन करना है।ताकि आपके बीजोंकी बचत हो उसके साथ साथ उसका अंकुरि करन भी 2 आंख के गन्ने की तुलना में अच्छा होता है। और उसके टीलरे भी अच्छे निकलें इसके साथ एक एकर के लिए कितनी संख्या में टिलरे रखना है उसका भी आयोजन अच्छी तरहसे करना है।गन्ने के दो आँखों के बिच आपको 2 फिट दुरी रखना है।और मेड से मेड की दुरी 5 फिट रखनी है।दो आँखों के बीच का अंतर करेक्ट 2 फिट रखने के लिए आपको मेड के उपर 2 फिट पर मार्किंग करना जरूरी है।मार्किंग करने से करेक्ट 2 फिट का अंतर आयेगा वही आप बिना मार्किंग से इतना करेक्ट अंतर नही रख पायेंगे। कम ज्यादा दुरी हो जायॆगी करेक्ट मार्किंग करके प्लानटेशन करने से दो अंकुर के बीच समान अंतर होनेसे टीलरे एक जैसे साईज के मिलेंग और पेरी के साइज भी बड जायेंगे।जिसके कारण आपके गन्नेका एवरेज बढने वाला है।
मार्किंग करने के बाद अब गन्नेकी कटिंग करना है। कटिंग करते वक्त जिस लकडी पर कटिंग करने वाले है वो लकडी गन्ना कटिंग करते समय हिल नही पाए इसका प्रावधान लेना जरूरी है।अन्यथा लकडी हिलनेसे गन्ने की कटिंग सफाई से नही होगी और इसके सीवा जिस अवजार से आप कटिंग करने वाले है वो तेज धार वाला चाहिये।(हमारे महाराष्ट्रा में उसको हम कोयता बोलते है जिसके सहायतासे गन्ना कट करते है) अगर उसकी तेज धार नही होती तो गन्ना कट करते समय उसकी कटाई अच्छी तरहसे ना होने के कारण गन्ने के आंख के उपरसे छेद जा सकता है।इसके साथ गन्ना कटिंग करते समय गन्नेके आँख नीचे नही करना चाहिए।नही नही तो लकडी के मार लगनेसे आँख खराब हो सकता है।इसीलिये गन्ना कटिंग करते समय गन्ने के आंख आडा करके कटिंग करे।आडा करके कटिंग करनेसे अगर कोई आँख खराब हो गयी है तो वो आपको आडा करके कटिंग करने से दीखाई देगी तो उसे आप तुरंत निकल सकते है।इस के सीवा कट करते समय गन्ने के नीचे के दो पेरी और लास्ट के दो पेरी नही लेना चाहीये।क्योंकि
निचे के दो पेरी में ज्यादा शुगर होने के कारण उसका अंकुरी करन अच्छा नही होता।और लास्ट के दो पेरी के आंखे कमजोर होने के कारण धूपमे वो आंखे तुरंत खराब हो जाते है। गन्ने के बीज कट करने के बाद उनका बीज प्रक्रिया करना है(seed tritment) बीज प्रक्रिया करने के लिये 20% क्लोरो 1 लिटर पानी में 2 मिली लेना है।क्लोरो से अग्रतना छेदक का नियन्त्रन हो जायेगा।फफूंदी नाशक के लिये बावीस्टिन 1 लिटर पानी में 2 ग्राम लेना है जिससे व्हायरस रोग का नियन्त्रण होगा घास जैसी दीखने वाली गन्ने का भी नियंत्रन हो जायेगा।अच्छा अंकुरीकरन के लीये जर्मीनेटर 1 लिटर पानी में 5/10 मिली लेना है।ताकि गन्नेका अंकुरीकरण जल्धी और पूर्ण क्षमता से हो।इन तीनोका मिश्रण करके उनमे गन्ने के बीज 10 से 15 मिनिट तक रखे।और प्लान्टेंशन चालु करे गन्ने के जो बीज है वो मेड के उपर जहा मार्किंग किये है उस जगा आँखे आकाश की और करके रखे।गन्ने के बीज के आंखे उपर करते समय आँख का भी निरीक्षन करे। निरीक्षन करते समय आपको कही आँख खराब दिखाई दिया तो उसे तुरंत निकल दीजिये।क्योंकी गलती से अगर खराब आंख का प्लानटेशन हो गया तो उसका अंकुरीकरन नही होगा।तो उस जगह गैप पड जायेगा। क्योंकी 2 फिट की दुरी पर एक आंख का प्लानटेशन है। अगर उसमे एक भी अगर गैप पड गया तो आंख से आंख की दुरी 4 फिट हो जायेगी।इसी लिये आपको चौकन्ना या सतर्कता बरतना है।
गन्ने का पानी में प्लानटेशन करते समय गन्ने के बीज को पानीमे हात से हल्का दबाये। गन्ना दबाते वक्त गन्ने के जो आँखे है वो उपर ही रहना चाहिये।अगर गन्ने की आंख निचे जमीन की दिशामे गया तो उसका अंकुरी करन नही होगा।गन्ना पानी में दबाते वक्त मिटटी के अन्दर 2 इंच से ज्यादा निचे ना जाये इसकी भी दक्षता ले।ज्यादा मिटटी के निचे गया तो अंकुरी करन कम हो जायेगा।गैप्स पडने की सम्भावना बड जायेगी इसके साथ प्लानटेशन करते समय गन्ने के बीज खुला रह गया तो उसके उपर गिलि मिटटी डालना चाहीये।अगर गन्ने के बीज उपर खुला रह गये तो उनका जो अंकुर है वो कमजोर आ जायेंगे।और गन्ने के बीज खुला रहने के कारण उनके जो आंखे है वो किटक खा सकते है।इसके सीवा प्लानटेशन करते समय आपको गैप फीलिंग के लिये नालिके दूसरी बगलमे 1 एकर के लिये 1 आंखकी 500 गन्ने का एक्सत्रा प्लानटेशन कीजिये।क्योकि इसका उपयोग 25 दिनमे गैप्स फीलिंग के लीये करना है।उस वक्त एक ही एज के रोपान होने के कारण गैप्स के वजहसे जो नुकसान होता है वो टाल सकते है। क्योंकी एकहि उम्र के रोपान होने के कारण गैप्स के लिये रोपान के प्लानटेशन के 8 दिन बाद आप पहचान भी नही सखेंगे किधर रोपान का प्लानटेशन किया है।
इतना वो एक ही उम्रके होने के कारन परफेक्ट मैच हो जाते है। और गैप्स के कारण जो नुकसान होता है वो भी टाल जाता है।वही अगर आप एक्सस्ट्रा प्लानटेशन नही करते तो आप 30 दिन तक गन्ने की उगने की प्रतीक्षा करेंगे।उसके बाद गैप फीलिंग के लिए फिर गन्ने का बीज लगायेंगे फिर 21 दिन तक उसका अंकुरीकरन का इंतजार करेंगे इसमें जो टाईम का फासला बढता है वो अंत तक मैच नही होता।
और जिस समय आप मिटटी चढाते है उस समय ये रोपांन छोटे एज के कारण मिटटी में दब जाता है।और पहिले प्लानटेशन किये हुवे गन्ने का भी इसके उपर असर होने के कारण उसके टीलरे भी नही आते।और जो नुकसान होता है वो आप टाल नही सकते।इसीलिये प्लानटेशन करते समय आपको 1 एकर के लीये एक्सट्रा गन्ने के बीज बगलमे कमसे कम 500 आंख लगाना जरूरी है।
प्लानटेशन के 3 दिन बाद खरपतवार का स्प्रे करना है। इसके लीये आपको पहले जिधर जिधर गन्ने खुले दीखते है उनके उपर मिटटी डालना चाहिये। ताकि उसके उपर खरपतवार का कोई परीणाम ना हो। खरपतवार के लिये आपको सेंकोर का स्प्रे लेना है। 100 ग्राम सेंकोर 60 लिटर पानी में मिक्स कीजिये। स्प्रे करते समय आपको रिवर्स चलके स्प्रे करना चाहिये। क्योंकी अगर आप सीधा चल के स्प्रे करेंगे तो स्प्रे करते समय जिस जिस जगा आप पाव रखते जाते है उस जगह के कोटिंग निकलने से उस जगह खरपत आ सकता है।इतना सब सावधानी बरतने के बाद आपके गन्नेके अंकुरि करन 90 /95 परसेंट तक होता है। फिर 25/26 दिनमे सभी प्लाट का निरिक्षन कीजिये।और जिस जिस जगा गैप है उस उस जगह जो एक्सट्रा रोपान लगाया है उसका प्लानटेशन किजिये। रोपान लगाते समय उसका उपरी हिस्सा थोडा कट करके लगाये।नही तो वो सुख जायेगा रोपान लगाते समय पानी डालके लगाये।और तुरंत पानी छोड दे या रोपान लगाते समय हल्की बारिश हो रही है तोक्यू पानी छोडने की भी जरूरत नही है।
सुरेश कबाडे.
गाव:-कारंडवाडी ,तहसील:वालवा,जिला:-सांगली. (महाराष्ट्र)
मोबा:-9403725999.
Remove dried leaves,,
गन्ने के पत्ते निकलनेका काम चल रहा है। एक एकर के लिए 3000 रु. खर्चा आता है। पत्ते निकालनेसे गन्ने का साइज बढ़ जाता है। पत्ते निकलते वक्त जो कमजोर गन्ने है जो खाद खाके मरनेवाले है उनको भी निकालिए।दो महीने के बाद और एक बार पत्ते निकालिए। पहली बार पत्ते निकलते समय एक नालिमे पत्ते डालिए और एक नाली खुला छोडीए। दूसरी बार पत्ते निकालते वक्त अगर हल्की जमीन है तो खुली नालिमे पत्ते डालिए।अगर काली जमीन है जिस जमीन में जल निकास जल्दी नही होता उस प्रकार की जमीन में दूसरी बार पत्ते निकालते वक्त पहली बार जिस नालिमे पत्ते डाले है उसी नालिमे पत्ते डालिए। पते निकालने के बाद दस रनिंग फिट में कीतने संख्या में गन्ने है वो भी देखना अवश्य है।
। बळीराजा
जमीनकी अच्छी तरहसे मशागत करना ,
जैसे दो बार प्लावू चलाना उसके साथ 1 एकरमे 5/6 ट्रेलर गोबर का खाद डालने के तुरंत 5 फिट की नाली निकलना. 15/20 मई तक ग्रीन manual के लीए 1 एकर् में 25 किलो धेचा नालिमे फेकेंगे और तुरंत पाणी देना है .
21/30 दिनमे 1 एकरको 1 बैग यूरिया देना है. फिर 50 दिनके बाद आपको धेंचामें कही कही फूल नजर आएंगे उस वक्त उसको जमीनमे गाड देना है.उसके लीए आपको धेन्चा हातसे दबाना है फिर उसके बाद मेडके उपरसे पॉवरटिलर चलाना है. रिव्हर्स में तो पूरा मेडकी जो मीट्टी है वो नालिमे धेंच्याके ऊपर गिरेगी ऐसे आपको दो बार पॉवर टिलर चलाना है धेंच्या पूरा मीट्टी में दब जायेगा और धेंचा के उपर मेड बन जायेगा ओर
नाली की जगा मेड बन जाएगी.एक एकरमें हमने धेंचा लगाया तो समजिएगा 10 ट्रेलर गोबरखाद के बराबर है.धेंचा करनेसे सेंद्रिय स्वरूपका नत्र मिलाता है.
बीज प्रक्रिया:--1 लिटर पाणीमें 20/ परसेंट क्लोरो 2 मिली.
बावीस्टीन:-- 1 लिटर पानी में 2 ग्राम.
जर्मीनटर:-- 1 लिटर पाणी में 5/10 मीली.
गन्नेका बीज 1 आंखका लगायेंगे.
दुरी:--आंख से आंख 2 फिट.
गन्ना लगते समय नाली के बगलमें जैसे की जिस बगलमे सूर्यका प्रकाश ज्यादा मिलता है उस नाली
के बगलमे पहले कुदालिसे नाली निकालके उस नालिमे फिर 2 बैग डीएपी, 4 किलों फरटेरा, 2 किलों थिमेट इन सबका मिश्रण करके नालीमे डालेंगे उसके ऊपर मीट्टी दबाएंगे ध्यान रहे जबभी खाद डालना है वो मिटटी के अन्धर डालना है तभी आपको रिजल्ट मिलेंगे.फिर उस नालिमे पानी छोडके पानीमे गन्ना हल्कासा दबाएंगे.
30 दिनमे:-- गन्नेके अंकुरण के बगलमे कुदालिसे नाली निकालेंगे उस नालिमे 1 बैग यूरिया 1 बैग अमोनियम स लफेट, 1 बैग पोटाश (potash) डालेंगे और उसके ऊपर मिटटी दबाएंगे.
65/70 दिनमे:- गन्नेका मातरु कोम्ब (वाटरशुट) नीकालेंगे वाटरशुट निकालनेसे टीलर जल्दिसे एक साथ बढ़ेंगे और आपके हिसाबसे उसमे टिलर आएंगे. उस वक्त आपको 2 बैग 12/32/16, 1 बैग यूरिया, 1 बैग अमोनियम सल्फेट देना है 1 बैग पोटाश देना है इस बार खाद देनेका तरीका थोडा अलग करेंगे टिलरके बगलमे खाद देना है और उस बगलकी मेडकी मिटटी उस खाद के ऊपर डालना है.तो पूरा खाद मिटटीके निचे गया और टिलर को भी थोडा थोडा मिटटी का सपोर्ट मिलेगा
85 दिनमे:-- इस बार हमको मायक्रोनुटरन्ट देना है जैसे की 10 किलो जिंक सल्फेट, 25 किलो मैगनेशियम सल्फेट, 10 किलो सल्फर.(गंधक्), 5 किलो मैग्निज सल्फेट, 3 किलो बोरोन ये पूरा मायक्रोनूटरनन्ट गोबर के खादमे मिलायेंगे.इसके लिए 200/300 किलो गोबर के खादमे 8/10 दिन तक रखेंगे ताकि सब चिलीटेड फार्ममें तयार हो. इससे आपको रिजल्ट भी बडिया मिलेंगे.इस बार खाद देते समय 65 दिनमें जिस बगल में खाद दिये थे उसके दुसरे बाजूमे खाद डालेंगे और उस बगलकी मेड की मिटटी कुदाली के सहायतासे खाद के ऊपर डालेंगे तो खाद मिटटी के अन्धर जायेगा और थोडा थोडा टिलर को भी मिटटी का सपोर्ट मिल जायेगा.
105/110 दिनोमे:--पॉवर टिलर की सहायतासे मिटटी लगाना है.ध्यान रहे पॉवर टिलर आपको रिवर्स चलाना है. उस वक्त आपको 2 बैग डी.ए.पी.,2 बैग यूरिया,और 1 बैग पोटाश (potash) देना है. और 2 बैग सेकंडरी देना है.
135/140 दिन में:--इस बार पॉवर टिलर के रिजर के साथ चलाना है.इस बार सीधा पॉवर टिलर चलाएंगे. 1 बैग यूरिया और 1 बैग पोटाश (potash) देना है
165/170 दिन में:--पत्ते निकलना है ध्यान रहे पत्ते निकलते वक्त पत्ते एक ही नालीमे रकना है और एक नाली खुला रखना है.उस खुले नालिके दोनों बगल में कूदालिसे नाली निकालके उस नालीमे 2 बैग 12/32/16, 1 बैग यूरिया डालके उसके ऊपर मिटटी डालेंगे.टोटल 7 बार खाद दीये लेकिन हर बार मिटटीके अंदर ही खाद दिया तो इसका ये फायदा होता है की पूरा खाद मुली के नजदीक मिल गया.तो उसका रिजल्ट भी बडिया नजर आयेगा.उपरसे जब आप खाद देते है तो आपको इतना बडिया रिजल्ट कैसे मिलेगा.अगर आपको अवरेज बढाना है तो कष्ट तो लेना ही पडेगा ना है ना.
225 दिन में और एक बार पत्ते निकालना है. अगर आप हात ऊपर करके देखिये वहा तक पत्ते आपको निकालना है. ध्यान रहे 170 दिन में पत्ते निकालते वक्त जो नाली आपने खुला छोड़ा था उस नालिमे इस बार पत्ते डालना है.पत्ते निकालनेसे गन्ने का आकार बड जाता है.और एक फायदा ये होता है जो टिलर खाद खाके मर जाते है वो भी टिलर पत्ते के साथ निकल सकते है. ध्यान रहे 5 फिट डिस्टन्स ×10 फिट:--50
स्केअर फिट में हमको 50 से 55 गन्ने चाहिए तभी हम
एक एकरमे 43000 से 45000 हजार तक पा सकते है.और एक गन्ने का वजन 2.5 आ गया तो आसानिसे 100 टन तक जा सकते है.इसके लिए आपको 100 परसेंट गैप फिलिंग बहुत जरूरी है.गैप फिलिंग के लिए
प्लान्टेशन करते समय आपको एक एकर के लिए 500 1 आंख के गन्ने नालिके दुसरे बगलमे प्लान्टेशन करना जरूरी है.
स्प्रे:-
30 दिन के बाद:- मायक्रोनूटरनट 5 मिली 1 लिटर पानी में और 19/19/19, 1 लिटर पानी में 7 ग्राम.
60 दिनमे:--मायक्रोनूटरनट 10 मिली 1 लिटर पानी में
और 12/61/0 , 1 लिटर पानी में 10 ग्राम.
90 दिनमे:--मायक्रोनूटरनट 10 मिली 1 लिटर पानी में और 0/0/50, 10 ग्राम 1 लिटर पानी में.
ड्रीचिंग:--
प्लान्टेशन करने के बाद 35 दिन में:--azatobactor 10 मिली , 1 लिटर पानीमे और p.s.b. 10 मिली 1 लिटर पानी में.
50 दिनमे:--azatobactor 10 मिली 1 लिटर पानी मेंऔर p.s.b. 10 मिली 1 लिटर पानी में और k :-mobilyjar 10 मिली 1 लिटर पानी में.
65 दिनमे:--azatobactor 10 मिली 1 लिटर पानी मेंp.s.b. 10 मिली 1 लिटर पानी में और k:-mobilyjar 10 मिली 1 लिटर पानी में.
80 दिनमे:-- azatobactor 10 मिली 1 लिटर पानी मे p.s.b. 10 मिली 1 लिटर पानी में और k:--mobilyjar 10 मिली 1 लिटर पानी में.
Imp:---
1:---गन्ने का जो बीज होता है ओ साइज में बड़ा हो उसकी पेरी 8 से 9 इंच का हो उसके पत्तो का साइज बड़ा हो.
2:--गन्ने का जो बीज होता है वो 9 से 10 महीने का हो खुदका बिजका (seed ) प्लाट हो उसको 9 महीने तक नत्र का खाद देना चाहिये.ये ध्यान में रहे उसके पत्ते नहीं निकलना और बीज का (seed) प्लांटेशन करते वक्त अच्छे कोलीटि के गन्ने का सिलेक्क्ष्न करे जैसे 8 से 9 इंच का पेरी नीचे के पेरी के साइज 5 से 6 इंच तक
चाहिये. ऐसा करनेसे आपका खुदका बीज प्लाट (seed) एक नम्बर का हो जायेगा जो quality आपको बाहर नही मिलेगा.अच्छा quality का बीज होने से आपका 1 एकरमे 25 से 30 टन तक अवरेज बड सकता है.
3:--गैप फीलिंग करने के लिए 1 एकरमे xtra 500 , 1 आंखकी गन्ने दुसरे बगलमे लगाना है.
4:--व्हायरस के टिलर निकलके उस जगा अच्छे नरसरी लगाये.
5:--खाद देते वक्त हर बार मिटटी के अंदर खाद दीजिये.
6:--ड्रीचिंग करते समय सुबह पानी देने के बाद शाम 4 बजे ड्रीचिंग करे.
7:--जीवाणु की ड्रीचिंग करते समय उसके साथ बुरशी नाशक या किटक नाशक का ईस्तेमाल मत करे.
8:--हमेशा 1 बैग यूरिया के साथ 10 किलो निम् का पेंड या नीमिन 250 मिली 2 दिन पहले यूरिया को कोटिंग करना ना भूले.
गन्ने में और भी नये नये प्रयोग हो रहे है.अभी मै 3/4 सालसे 6/2 फिट पर गन्ना लगा रहा हु.उसका भी अवरेज 100 टन के उपर आ रहा है. सेकंड का भी अवरेज 65/70 टन तक जा रहा है. इस साल 6 एकर मे बीज का प्लांटेशान 6/2.5 पर प्रयोग कर रहा हू.
थोडा 6/3 पर और 6/4 पर भी प्लांटेशन किया है.उनका भी रिजल्ट देखना है 4/5 सालसे खुदकही बीज के प्लाटसे अच्छे quality के गन्ने निकलके उसका टिशु कल्चर बना रहा हू 2 /3 स्टेजमें ही गन्ने का साईंज अच्छा आ रहा है. सभी किसान भाई के अनुरोधसे 6 एकर बीज का ( seed) प्लानटेशन भी किया ताकि अच्छे quality के बीज सभी को मिले अच्छे quality के बीज मिलनेसे 25/30 टन तकका अवरेज बढ सकता है.ये मेरा खुद का अनुभव है.इसके साथ इस सालके बीज के प्लान्टेशनमें संजीवक का भी प्रयोग कर रहा हू जैसे की iba, 6ba, projib उसके भी रिजल्ट अच्छे आ रहे है.इतना ध्यान रहे की अगर आपको अवरेज बढ़ाना है तो बीज का प्लानटेशन खुद करना है.जैसे की मराठी में संत तुकाराम महाराज जी ने कहा है शुद्ध बिज पोटी फले रसाळ गोमटे जैसे की अगर अच्छा बीज हो तो फल भी मिटे होते है.
मेरी जो हिंदी की समज है उस समज से लिखा हू लिखते समय भाषा की अडचन से कही गलत शब्द लिखा गया. हो तो माप कीजिये.
सम्पर्क:-
श्री सुरेश आप्पासो कबाड़े.
मु. पो :-कारंडवाडी. ता :-वालवा.
जिल्हा :-सांगली. पिन. कोड :-416301.
मोबा:-9403725999.
subsoiler
बळीराजा.
नमस्ते किसान भाईयो आज हम गन्ना लगाने के पहिले जो हम खेतमे मेहनत करना है उसके बारेमे सीखना है।
जो जो बारीकिया है वो सब आपको बतानेकी कोशिश करूंगा।और इसका उपयोग से जरुर गन्ने का अवरेज (average) बढाने के काम आयेगा ये मेरा विश्वास है। हमारे मराठी में एक कहावत है आदी पाया मग कळस याने की इमारत का foundeshn अगर मजबूत है तो इमारत को उपर जानेसे आपको कोही रोक नही सकता
तो आज हम सबसे पहिले अपने खेत का अभ्यास करना है। क्यों की जिस खेत ने हमको आज तक इतना
दिया है और वुसको इसके बदले हमने क्या दिया है ये भी आप आपके मन को खुद पुछिये तो आपको उसका तुरंत जवाब मिल जायेगा। बरहाल जिस खेतमे नोरपा गन्ने का फसल 12 से 18 महीने तक फिर जड़ी और त्रिजड ऐसा मिलके खेतमे 3 सालसे 3.5 सालके भी उपर खेत में गन्ना खेतमे रहता है। इसके कारण अगले गन्ने के फसल के लिए जमीनकी अच्छी तरहसे मेहनत करना है। इसके लिए हमको सबसे पहले सबसोयलर
(Sabsoyalar) का इस्तेमाल करना है। गन्ना टूटने के
बाद कम से कम 20 से 30 दिन तक पहले जमीनको अच्छी तरहसे सुखाना है तो moisture कम हो जाएगी और उसके बाद सबसोयलर चलाना है। जमीन अच्छी तरहसे सूखने से सबसोयलर का काम भी अच्छे तरहसे हो जायेगा। अब आपके मनमे ये विचार आएगा की सबसोयलर की क्या जरूरत है तो जो गन्ना आपके खेतमे 3 से 3.5 साल तक रहता है उसके बिच हम गन्ने के फसल को बहुत ज्यादा मात्रा में पानी देते नहीं बल्कि
उस गन्ने के खेत में पानी खड़ा करते है। जिसके कारण
12से 15 इंच जमीनके निचे की मिटटी हार्ड या कडक
बनती है।जो पानी हम गन्ने को देते है उसका जल निकास नही होता इसीलिए हमको सबसोयलर चलाना चाहिये जो जमीनकी निचे जो हार्ड या कडक मिटटी बन गयी है उसको सब्सोयलर की मदत से वो हार्ड मिटटी तोडता है जड़ के नजदीक जो solti soiel जमा होते हैे उनका भी जल निकास हो जायेगा सब सोईलर 1.5 से 2 फिट तक जमीन के निचे जाता है जिसके करन अब पानी का अच्छी तरहसे जल निकास हो जायेगा और जमीन की कोलीटी भी बढ जाएगी गन्ने का अवरेज भी बढ़ेगा और जमीन के अंन्धर सॉल्ट की मात्रा भी नहीं बढ़ेगी। सबसोयलर चलाते वक्त पहले मेडके उपर रोटावेटर चलाएंगे रोटावेटर चलाने के बाद मेडके उपरसे ट्रेक्टर चलाएंगे और नाली में सबसॉयलर लगायेंगे इसके बाद 15/20 दिन जमीन सुखाएंगे और फिर हल चलाएंगे हल चलाते समय भी हमको खड़ा और आढा ऐसे दो बार हल चलाएंगे। तो पहली बार हल चलाने के बाद 1 महिना उस मिटटी को सुकने देंगे और 1महीने के बाद जो ढेकला है ओ 1 महिना सुकने के बाद थोडा स्वाप्ट हो जायेगा फिर उसके उपर हम रोटावेटर चलायेंगे फिर 4 से 5 दिन बाद दूसरी बार हल चलाएंगे उसके बाद 15 मई तक तेज धुप में और मिटटी सुख जाएगी.उस दरम्यान एक एकर को कम से कम 5 ट्रेलर गोबर का खाद देना है।उसके तुरंत उसके उपर रोटावेटर चलायेंगे ताकि वो गोबर तेज धुपसे बच जायेगा। गोबर के अन्दर के जीवाणु सुरक्क्षित रहे पूरा गोबर मिटटी के अन्दर जायेगा और उसके बाद हम 4.5 से 5 फिट की नाली निकालेंगे अच्छी मेहनत होने के कारण आपको ढेकला नहीं दिखाई देगा पूरी मिटटी के अलग अलग कण हो जायेंगे और उस खेतमे आप चलेंगे तो आपको गालीचे के उपरसे चलनेका आनंद मिलेगा ज्यादा चल भी नहीं सकेंगे आपके पाव भर आयेंगे और इस मेहनत का रंग आपको गन्नेके फसल में दिखाई देगा। अच्छा तो आज हम यही पर रुकते हुवे यही आपसे आशा करते है की ये सारी चीजो पर आप जरुर अमल करेंगे।
श्री:- सुरेश आप्पासो कबाडे.
पोस्ट:- कारन्डवादी
तहसिल:-वालवा
जिल्हा:-सांगली
पिन कोड:-416301
मोबो :-9403725999
नोट:-सबसोयलर का इस्तेमाल उन जमिनोमे ज्यादा उपयोग होगा जो जमींन काली मिटटी की होती है solt का प्रमाण ज्यादा होता है जिस जमीन में पानि का जल निकास नही होता जिसका ph 8 से 8.5 तक है उस जमीन में प्रयोग कीजिये जिस जमीन में पानी रहता नही उस जमीन में सबसोयलर की जरूरत नही जिस जमीन में जरूरत नही उस जमीन में सबसोयलर छोड के बाकिके जो मेहनत करने को कहा है वो जरुर करे।
खाद
बलिराजा
नमस्ते किसान भाईयो पीछली बार आपने सबसोयलर के बारेमे जानकारी ली है। इस बार हम हरा खाद याने ग्रीन मैन्युअल के बारेमे जानकारी लेनेवाले है इस के लिए हमको ढेंच्या के बारेमे जानकारी लेना है। अगर एक एकर में धेंच्या किया तो उसका जो खाद हमें मिलता है वो 10 ट्रेलर गोबरके खाद के बराबर है। ऐसे हमारे कृषि visheshadna का केहना है। तो आपके ध्यान में धेंच्या का महत्व आया होगा। आजकल गोबर का खाद भी बड़ी मुश्किलसे मिलता है हमको जितना चाहिये उस प्रमान में भी नहीं मिल पाता फिरभी समजो मिल भी पाता है तो हमको जिस कोलिटी का चाहिए उस कोलिटी का नहीं मिलता। और उसकी कीमत भी इतना ज्यादा होता है की चाहकर भी हम उतना गोबर का खाद नहीं ले सकते। तो गोबर के खाद का पर्याय के रुपमे हमको ध्येंच्याको अपनाना चाहिये। और आपको 45 से 50 दिनमे हरा खाद मिलनेवाला है। अगर आपका गन्ना लगाना jully या ऑगस्ट में तय है तो आपको 15 में से 31 में के दरम्यान 4.5 से 5 फिट की नाली निकलना जरूरी है। नाली निकलते समय आपको जमीनकी लेवल के अनुसार नाली निकालिए फिर एक एकर में 25 से 30 किलो धेंच्या नालिमे डालना है। नालिमे डालते समय ध्येंचा एक लेवल से डालिए ताकि सब जगा अंकुरण एक जैसा हो और उसके बाद तुरंत पानी दीजिये 15 से 31 में के दरम्यान बहूत हीट होती है।इसके लिए 31 में तक आपको हर 5 से 6 दिनमे पानी देना पड़ता है। उसके बाद जैसे ही जून का मानसून चालू हो जायेगा तो आपको पानी भी बार बार देना नहीं पड़ेगा। और जून की हवा लगते ही धेंच्या तेजीसे बढना शुरू हो जायेगा। इसी बिच 21 से 30 दिनमे आपको एक एकर में 1 बैग यूरिया डालना है उसके बाद 50 दिनोके दरम्यान धेच्या में फूल आना शुरू हो जाता है। तो समजिए धेंच्या machor हो गया है धेंच्या को उखाडके देखेंगे तो उसके जड में छोटे छोटे गोल गोल आकर के गाठीया दिखाई देंगे वो जो गाठीया है उसमे सेंद्रीय स्वरूप का नत्र होता है।अब धेंच्या को हम हात से नालिमे दबा देंगे। और नाली के बगल में जो धेंच्या है उसे हात से उखाडके नालिमे डालेंगे। ये सब करनेमे आपको 1 एकर के लिए 4 से 5 मजदूर में काम
जायेगा। इसके बाद मडके उपरसे दो बार पॉवर टिलर रिवर्स चलाने के बाद मेडकी पूरी मिटटी धेंच्या के उपर गिरेंगी और धेंच्या के उपर नया मेड बन जायेगा। और जिधर पहले मेड थी उस जगा अब नाली हो जाएगी। इसके सिवा जब आप पॉवर टिलर चलाने वाले है उसके पूर्व 1 एकर के लिए 4 से 5 बैग सुपर फोस्फेट भी डाल सकते है जिसके कारन धेंच्या जल्दी सड जायेगा। एक एकर धेंच्या से हमे 8 टन तक हरा खाद मिलता है और 32 से 35 किलो नत्र मिलता है। इसके सिवा जमिनका जल निकास बढ़ जाता है। जमीनसे स्वाल्ट का भी शोषण धेंच्या करता है।पूरा जमीन की कोलीटी में सुधार आता है।और धेंच्या के उपर मिटटी गिरनेसे सडनेका काम भी फ़ास्ट होता है। गन्ने का प्लान्टेशन करनेसे पहिले ये ध्यान रहे की आपको अच्छा avrej निकालनेके साथ जमीन की कोलिटी भी अच्छा रखना है।
श्री:- सुरेश आप्पासो कबाड़े
ग्राम:-कारंदवाडी. तहसील:-वालवा. जिल्हा:-सांगली.
मोबा.9403725999
बीज
बळीराजा
नमस्ते किसान भाईयो पीछली बार आप हरा खाद याने धेंचा के बारेमे विस्तार से जानकरी ली।इसके सिवा जमीनकी मेहनत कैसे करना है और उसके साथ सबसोयलर के बारेमे भी जानकरी ली। हल कैसा चलाना है ये सब जानकरी विस्तार से ली आज हम co 86032 के बीज के प्लाट के बारेमे जानकरी लेना है। co 86032 के बारेमे गलत फेहमी है जैसे की गन्ना जाडा नही होता उसके टिलर कंट्रोल नही होते ,एवरेज अच्छा नही मिलता ये बात उतनी सही नही है मेरा तो स्पष्ट मानना है की आज co 86032 के मुकाबले अच्छा बिज आज तो नही है co 86032 में बीज के बहुत से प्रकार ह, उधा: उसमे कम साईज के गन्ने ज्यादातर देखने को मिलते है। उसके पेरी के साईज भी छोटे होते है,उसके पत्ते खडे होते है उसमे टिलर की संख्या भी ज्यादा होती है ,उसके बढने की स्पीड भी धीमी होती है अगर उस टाइप के गन्ने आप लगायेंगे तो आपको अवरेज avrej कभी भी अच्छा नही आ सकता। उसी जगा अगर आपने 86032 में जो जाडा गन्नेका बीज (जिसको महाराष्ट्रा में निरा 86032के नामसे जाना जाता है) लगवाएंगे तो आपको उमीद से ज्यादा अच्छा रीजल्ट मिलेंगे। इसके सिवा इसका रीकव्हरी अच्छा होने के कारण हार्वेस्टिंग भी दुसरे गन्नो के मुकाबले सही समय पर होता है। ज्यादा परेशानीका सामना नही करना पडता।
किसानो और फैक्टरी दोनोको उपयुक्त सिद्ध कर चूका है ये व्हरायटी।
शुद्ध बीजा पोटी फळे रसाळ गोमटी ऐसे अच्छे बीजोका वर्णन संत तुकाराम महाराज जी ने कहा है आज वो बात सही लग रही है। अगर आपको गन्नेका एवरेज बढाना है ,तो आपको बीज के प्लाट को प्रायोरटी देना चाहिये। और
खुद का बीज का प्लाट बनाना चाहिये क्योकि आप खुद जो बीज के प्लाट बनाओगे उस कोलिटी का बीज बाहर कही भी नही मिलेगा। ध्यान में रहे अगर अच्छे बीज आप बनायेंगे तो आप एक एकर में 25 से 30 टन तक का एवरेज बढा सकते है।ऐसा मुझे खुदको अनुभव आया है। एवरेज बढाने का फायदा सिर्फ नोरपा गन्ना के सीवा जडी और त्रिजड में भी मिलेगा इसके सीवा अच्छा कोलिटीके बीज होनेके कारण गन्ने में व्हायरस याने घास जैसी f वाले गन्ने या शूट बोरर या बंची top इनका प्रसारण भी कम होता है।वही आप बाहर के कम दर्जे का बीज या जडी के बीज का इस्तेमाल करेंगे तो उस प्लाट में ज्यादा प्रमाण में व्हायरस ,शूटबोरर, बंचि top इत्यादी रोग दिखाई देंगे। जिसके कारण आपको नोरपा के सीवा जडी में भी आपका एवरेज कम आनेके वजहसे नुकसान का सामना करना पडता है।त्रिजड तो आप रख भी नही सखेंगे इतने गन्ने में व्हायरस बढ़ जाता है।जिसके कारण गैप्स भी ज्यादा बढ़ते है तो हम ज्यादा एवरेज निकालनेके उदिष्ट से भटक जाते है इसीलिए हमको अपना खुद का बीज का प्लाट करने की आवश्यक्यता है आज तक बहुत से ऐसे किसान भाई देखे है जो खेतमे तो बहुत मेहनत करते है
गोबर के खाद पर खर्चा करेंगे सब मेहनत अच्छी तरहसे करेंगे लेकिन उनका खुदका बीज का प्लाट करनेकी प्रती बहुतही उदासीनता दिखाई देती है और यही मानसिकता हमको बदल देने की आवश्यकता है। आपको अगर एवरेज बढ़ाना है तो खुदका बीज का प्लाट करना सीखिए तभी आपको अपने टारगेट तक पहुचनेका रास्ता मिल सकता है। हमारे मराठी में कहावत है आधी पाया मग कळस इसका मतलब है पहले हम फाऊंडेशन मजबूत करे तभी उसके उपर हमारी सपनोंकी मंझील खड़ा कर सकते है।
तो पहले हमको अच्छे बीज के प्लाट को ढूंडना है ऐसा गन्ने का प्लाट हमे ढूंडना है। जिस प्लाट में सभी गन्ने साईज से बड़े याने जाडा हो और, उस प्लाट में से सबसे जाडा जो गन्ना हो वो सिलेक्ट करेंगे ,उस गन्ने की सबसे नीचे के पेरी के साइज 6 इंच तक होना चाहिये। उसकी जो पेरी है उसकी लंबाई 9 से 10 इंच तक चाहिये। ईसके सीवा पुरे गन्ने की साईज जाडा चाहिये ऐसे कोलिटे के गन्ने हम सिलेक्ट करेंगे और सिलेक्ट करते समय भी हमको ज्यादा कल्ले जिसमे है उसमेसे गन्ना सिलेक्ट करना है। ताकि हमे गन्ना जाडा भी चाहियेे और उसको ज्यादा टिलर भी चाहिये उस गन्ने के जो मुलत विशेषताये है वो पूरा उसमे आ जाए। ये सब सिलेक्क्षन की वजहसे मुमकीन है । जैसे की मूल गन्ने की तरहा जाडा होने के गुण उसके सीवा टिलरे ज्यादा आने के गुण ये तबी मुमकिन है जब हम अच्छे गन्ने सिलेक्ट करेंगे तभी उसमे ये सभी अच्छे गुण आ सकते है । सिलेक्क्षन करनेसे गन्ने का कोलीटी लेवल बढ जाता है। एक एकर से हमको 43000 के संख्या मिलनेवाली है वो सब जाडा और एक साइज के मिलने वाले है ।और एक गन्ने का वजन 2,5 का मिल गया तो 100 टन तक आप आरामसे जा सकते है ।और यही ज्यादा एवरेज का फायदा आपको जडी और त्रिजड में भी मिल जाता है।
तो आपका खुदका बिज प्लाट होनेसे कितना फर्क पडता है वो आप समज गये होंगे बीज का प्लाट करते समय बीज की आयु 10 महिनेका चाहीये ।अगर आप को jully में गन्ना लगाने का आयोजन है, तो आपके गन्ने का बीज सप्टेम्बर में लगाना चाहिये ताकि अगले साल jully में गन्ना लगाते वक्त उसका आयु 10 महिनेका होजायेगा। इसके सीवा बीज का प्लाट का गन्ना नीचे गिरा हुवा नही चाहिये ,अगर गीर गया तो 15 दिन के अंधर उसके पेरी पर जड़े निकलना शुरू हो जायेगा । इसीलिए पूरा प्लाट खडा चाहीये उसको फूल नहीं आना चाहिए, प्लाट एकदमसे निरोगी चाहिए उसमे बुरशी रोग या शूट बोरर, बंचीटॉप, व्हायरस इन सबका किसीभी प्रकार का प्रादुरभाव नही होना चाहिए । इसके लिये आपको प्लानटेशन करते समय बीज प्रक्रीया करनेकी बेहद आवश्यक है । इसके लिये आपको 1 ली पानी में 2 ग्राम बाविस्टिन लेना है बाविस्टिन से आपको बुरशी रोग नही आयेगा । इसके साथ 20/ परसेंट वाला क्लोरो पायरी फोस phos 1 लीटर पानी में 2 मिली लेना है । क्लोरो से आपके गन्ने में शूट बोरर या आग्रतना छेदक का बंदोबस्त हो जायेगा । फिर अच्छे जर्मीनेशन के लिये बावसकर टेक्नोलोजिक का जर्मिनेटर लेना है ,उसके साथ 1 लिटर पानी में 10 मिली लेना है । ये तीनो का अच्छी तरहसे मिश्रण करके उसमे बीज 10 से 15 मिनिट तक रखिये और फिर प्लानटेशन शुरू करे । इसके सीवा आपको जीवाणु की बीज प्रक्रीया करना है तो क्लोरो बाविस्टिन का बीज प्रक्रीया होने के बाद गन्ने को सूखने दो उसके बाद 10 लिटर पानी में 1 लिटर acato bactor और 1 लीटर p.s.b.(स्फुरद उपलब्द करने वाले जीवाणु) में बीज 20 मिनिट तक रखिये । और फिर गन्ना सूखने के बाद प्लान्टेशन शुरू कीजिये बीज के प्लाट के लिए रेगुलर खाद से ज्यादा मात्रा में खाद देना पड़ता है । उसकी वजहसे गन्ने का साइज भी बढ़ेगा उसके साथ गन्ना का coliti भी बढेगी और नत्र की ज्यादा मात्रा देने के कारन गन्ने के आंख का साइज भी थोडा बढा होने के साथ आंख का कलर भी हरा हो जायेगा गन्ने में नत्र और ग्लूकोज का प्रमान भी बढ़ जाता है।
उसका उपयोग गन्ने के अच्छे अंकुरिकरन के लिए होता 9 महीने तक गन्ने को नत्र देना पडता है । उसके कारण गन्ने में नत्र और ग्लूकोज का प्रमान बढता है। इसके साथ स्फुरद और पालाश दो हप्तो में देने की शिफारीस है । टोटल 1 हेक्टर में हमको नत्र:--670, स्फुरद:--225, पालाश:--225 देने की शिफारीस है यही अगर एक एकर में देना है तो उसका प्रमाण,नत्र:--268, स्फुरद:--90,और पालाश:--90 ऐसा सिफारिश है
खाद:--प्रमान 1 एकर में
1:--प्लान्टेशन करते समय,नत्र:--20 किलो (44,किलो यूरिया)
स्फुरद:--68 किलो (424 किलो सुपर फोस्पेट)
पालाश:--68 किलो (113/2 किलो पोटाश)
2:-- प्लान्टेशन से 30 दिनमे नत्र:--20 किलो (44 किलो यूरिया)
3:--प्लान्टेशन से 60 दिनमे नत्र:--44 किलो (96 किलो यूरिया)
प्लान्टेशन से 70 दिनमे पहले वाला जो अंकुर है (mother shut) उसको निकालना है ताकि टिलरे एक साथ जल्दी बढे और हमको जो एक एकरमे गन्ने की संख्या चाहिये वो मिले।
4:--75 दिन में मायक्रोनूट्रन्ट खाद देना है।
जिसमे सल्पर:--10 किलो, मैग्नेशियम:--10 किलो, फेरस:--10 किलो, झींक :-10 किलो और बोरोन :--3 किलो, मैगनिज :--5 किलो इन सबको कम्पोस्ट के खाद या गोबर के खाद 200 किलो लीजिये और, उनमे ये सब खाद मिलाके 8 दिन तक रखिये ताकि सब चीलिटेड हो जाये, और फिर खाद दे।
5:-- प्लांटेशन के 90 दिन बाद:-- नत्र:--24 किलो (52 किलो यूरिया)
6:- -प्लांटेशन के 120 दिन बाद,नत्र:--24 किलो (52 किलो यूरिया
7:--प्लांटेशन के 135 दिन में पॉवर टीलर के सहायतासे मिटटी चढाना है । पहली बार रिवर्स चलाके मिटटी चढाना है । और दूसरी बार पॉवर टिलर की सहायता से रिजर डालना है ,उस समय आपको नत्र:--46 किलो (100 किलो यूरिया)
स्फुरद:--22 किलो (138 किलो सुपर फोस्फेट)
पालाश:--22 किलो (36/8 किलो पोटाश) देना है।
8:--मिटटी चढाने के 30 दिन बाद,नत्र :-22 किलो (48 किलो यूरिया)
9:--मिटटी चढाने के 60 दिन बाद नत्र :--22 किलो (48 किलो यूरिया)
10 :--बीज के लिये गन्ना काटने के पूर्व 1 महिना नत्र :--46 किलो (100 किलो यूरिया)
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संपर्क:--श्री सुरेश आप्पासो कबाडे।
मु.पो.:--कारंदवाडी. तहसिल.वाळवा.जिल्हा. सांगली.
मोबो.9403725999 , Maharashtra.
गन्ने का प्लांटेशन
बळिराजा.
प्लांटेशन करनेका आधुनिक तरीका
नमस्ते किसान भाइयो,
अभीतक आपने सबसॉयलर के बारेमे जानकरी ली उसके फायदे क्या है ये भी जान ली है। उसके साथ हरा खाद धेंचा के बारेमे भी जानकरी ली हरा खाद का निर्मान करना कितनी आवश्यक पूर्ण बात है अपनी जमीन जिन्दा रखने के लिए ये भी समज गये होंगे।इसके साथ गन्ने के बीज के क्या क्या फायदे है इसका भी आपने अभ्यास किया।आपको बीज के प्लाट किस तरीकेसे करना है उसकी भी जानकरी मिल गयी है।और अब गन्ने का प्लांटेशन किस तरीकेसे करना है उसमे जो जो बारीकिया है उसके बारे में भी जानना है तो इसका आपको जरुर लाभ होगा।
हरा खाद गाडने के बाद जो नया मेड और नाली तयार हो गया है उसी मेड के नालिमे गन्ने के प्लान्टेशन का आयोजन करना है। उसके लीए प्लान्टेशन के पहिले बेसल खाद देने का आयोजन करना है। सबसे पहिले आपको नाली के जिस बगल में सूर्य कि किरने ज्यादा पडते है उस बगल में गन्ना लगाना है। ताकि सूर्य की किरने पडनेसे गन्नेका अंकुरी करन अच्छा होता है। इसके सीवा नालिके एक बगलमे प्लान्टेशन करनेसे दूसरा फायदा ये है की अगर ज्यादा बारिश हो गया तो एक बगल में प्लान्टेशन होने के कारण खतरा नही होता है। पूरा बरसात का पानी भी बाहर निकालनेके लिए आसानी होती है।तो नालिके एक बगलमे कूदालि से नाली निकालके उसमे हमे बेसल खाद देना है।उसके के लिए 2 बैग डी.ए.पी.,3 किलो थाईमेट और 8 किलो फरटेरा लीजिये,थाईमेट का उपयोंग धेंचा के उपर जो किटक होते है उसके नियंत्रन के लिए और फरटेरा का उपयोग आग्रतनाछेदक के नियंत्रन के लिये करना है। कुदालिसे एक एकर नाली निकालके उस नालिमे खाद डालके उसके उपर मिटटी चढाने के लिये 6 मजदूर में काम होता है।नाली निकालते समय 4 इंच जमीनके नीचे तक मिट्टी की खुदाई करना जरूरी है।तभी नाली निकालने का उपयोग हो जायेगा और नाली निकालने के बाद सभी खाद नाली में डाल के उसके उपर मिटटी डालना है। ध्यान रहे जितना आप मिटटी के अन्धर जडी के पास खाद देंगे उतना अच्छा आपको खाद के अच्छे रिजल्ट मिल जायेंगे।इसके साथ गन्ने का प्लान्टेशन करने के लिए 1 आंख का प्लांटेशन का आयोजन करना है।ताकि आपके बीजोंकी बचत हो उसके साथ साथ उसका अंकुरि करन भी 2 आंख के गन्ने की तुलना में अच्छा होता है। और उसके टीलरे भी अच्छे निकलें इसके साथ एक एकर के लिए कितनी संख्या में टिलरे रखना है उसका भी आयोजन अच्छी तरहसे करना है।गन्ने के दो आँखों के बिच आपको 2 फिट दुरी रखना है।और मेड से मेड की दुरी 5 फिट रखनी है।दो आँखों के बीच का अंतर करेक्ट 2 फिट रखने के लिए आपको मेड के उपर 2 फिट पर मार्किंग करना जरूरी है।मार्किंग करने से करेक्ट 2 फिट का अंतर आयेगा वही आप बिना मार्किंग से इतना करेक्ट अंतर नही रख पायेंगे। कम ज्यादा दुरी हो जायॆगी करेक्ट मार्किंग करके प्लानटेशन करने से दो अंकुर के बीच समान अंतर होनेसे टीलरे एक जैसे साईज के मिलेंग और पेरी के साइज भी बड जायेंगे।जिसके कारण आपके गन्नेका एवरेज बढने वाला है।
मार्किंग करने के बाद अब गन्नेकी कटिंग करना है। कटिंग करते वक्त जिस लकडी पर कटिंग करने वाले है वो लकडी गन्ना कटिंग करते समय हिल नही पाए इसका प्रावधान लेना जरूरी है।अन्यथा लकडी हिलनेसे गन्ने की कटिंग सफाई से नही होगी और इसके सीवा जिस अवजार से आप कटिंग करने वाले है वो तेज धार वाला चाहिये।(हमारे महाराष्ट्रा में उसको हम कोयता बोलते है जिसके सहायतासे गन्ना कट करते है) अगर उसकी तेज धार नही होती तो गन्ना कट करते समय उसकी कटाई अच्छी तरहसे ना होने के कारण गन्ने के आंख के उपरसे छेद जा सकता है।इसके साथ गन्ना कटिंग करते समय गन्नेके आँख नीचे नही करना चाहिए।नही नही तो लकडी के मार लगनेसे आँख खराब हो सकता है।इसीलिये गन्ना कटिंग करते समय गन्ने के आंख आडा करके कटिंग करे।आडा करके कटिंग करनेसे अगर कोई आँख खराब हो गयी है तो वो आपको आडा करके कटिंग करने से दीखाई देगी तो उसे आप तुरंत निकल सकते है।इस के सीवा कट करते समय गन्ने के नीचे के दो पेरी और लास्ट के दो पेरी नही लेना चाहीये।क्योंकि
निचे के दो पेरी में ज्यादा शुगर होने के कारण उसका अंकुरी करन अच्छा नही होता।और लास्ट के दो पेरी के आंखे कमजोर होने के कारण धूपमे वो आंखे तुरंत खराब हो जाते है। गन्ने के बीज कट करने के बाद उनका बीज प्रक्रिया करना है(seed tritment) बीज प्रक्रिया करने के लिये 20% क्लोरो 1 लिटर पानी में 2 मिली लेना है।क्लोरो से अग्रतना छेदक का नियन्त्रन हो जायेगा।फफूंदी नाशक के लिये बावीस्टिन 1 लिटर पानी में 2 ग्राम लेना है जिससे व्हायरस रोग का नियन्त्रण होगा घास जैसी दीखने वाली गन्ने का भी नियंत्रन हो जायेगा।अच्छा अंकुरीकरन के लीये जर्मीनेटर 1 लिटर पानी में 5/10 मिली लेना है।ताकि गन्नेका अंकुरीकरण जल्धी और पूर्ण क्षमता से हो।इन तीनोका मिश्रण करके उनमे गन्ने के बीज 10 से 15 मिनिट तक रखे।और प्लान्टेंशन चालु करे गन्ने के जो बीज है वो मेड के उपर जहा मार्किंग किये है उस जगा आँखे आकाश की और करके रखे।गन्ने के बीज के आंखे उपर करते समय आँख का भी निरीक्षन करे। निरीक्षन करते समय आपको कही आँख खराब दिखाई दिया तो उसे तुरंत निकल दीजिये।क्योंकी गलती से अगर खराब आंख का प्लानटेशन हो गया तो उसका अंकुरीकरन नही होगा।तो उस जगह गैप पड जायेगा। क्योंकी 2 फिट की दुरी पर एक आंख का प्लानटेशन है। अगर उसमे एक भी अगर गैप पड गया तो आंख से आंख की दुरी 4 फिट हो जायेगी।इसी लिये आपको चौकन्ना या सतर्कता बरतना है।
गन्ने का पानी में प्लानटेशन करते समय गन्ने के बीज को पानीमे हात से हल्का दबाये। गन्ना दबाते वक्त गन्ने के जो आँखे है वो उपर ही रहना चाहिये।अगर गन्ने की आंख निचे जमीन की दिशामे गया तो उसका अंकुरी करन नही होगा।गन्ना पानी में दबाते वक्त मिटटी के अन्दर 2 इंच से ज्यादा निचे ना जाये इसकी भी दक्षता ले।ज्यादा मिटटी के निचे गया तो अंकुरी करन कम हो जायेगा।गैप्स पडने की सम्भावना बड जायेगी इसके साथ प्लानटेशन करते समय गन्ने के बीज खुला रह गया तो उसके उपर गिलि मिटटी डालना चाहीये।अगर गन्ने के बीज उपर खुला रह गये तो उनका जो अंकुर है वो कमजोर आ जायेंगे।और गन्ने के बीज खुला रहने के कारण उनके जो आंखे है वो किटक खा सकते है।इसके सीवा प्लानटेशन करते समय आपको गैप फीलिंग के लिये नालिके दूसरी बगलमे 1 एकर के लिये 1 आंखकी 500 गन्ने का एक्सत्रा प्लानटेशन कीजिये।क्योकि इसका उपयोग 25 दिनमे गैप्स फीलिंग के लीये करना है।उस वक्त एक ही एज के रोपान होने के कारण गैप्स के वजहसे जो नुकसान होता है वो टाल सकते है। क्योंकी एकहि उम्र के रोपान होने के कारण गैप्स के लिये रोपान के प्लानटेशन के 8 दिन बाद आप पहचान भी नही सखेंगे किधर रोपान का प्लानटेशन किया है।
इतना वो एक ही उम्रके होने के कारन परफेक्ट मैच हो जाते है। और गैप्स के कारण जो नुकसान होता है वो भी टाल जाता है।वही अगर आप एक्सस्ट्रा प्लानटेशन नही करते तो आप 30 दिन तक गन्ने की उगने की प्रतीक्षा करेंगे।उसके बाद गैप फीलिंग के लिए फिर गन्ने का बीज लगायेंगे फिर 21 दिन तक उसका अंकुरीकरन का इंतजार करेंगे इसमें जो टाईम का फासला बढता है वो अंत तक मैच नही होता।
और जिस समय आप मिटटी चढाते है उस समय ये रोपांन छोटे एज के कारण मिटटी में दब जाता है।और पहिले प्लानटेशन किये हुवे गन्ने का भी इसके उपर असर होने के कारण उसके टीलरे भी नही आते।और जो नुकसान होता है वो आप टाल नही सकते।इसीलिये प्लानटेशन करते समय आपको 1 एकर के लीये एक्सट्रा गन्ने के बीज बगलमे कमसे कम 500 आंख लगाना जरूरी है।
प्लानटेशन के 3 दिन बाद खरपतवार का स्प्रे करना है। इसके लीये आपको पहले जिधर जिधर गन्ने खुले दीखते है उनके उपर मिटटी डालना चाहिये। ताकि उसके उपर खरपतवार का कोई परीणाम ना हो। खरपतवार के लिये आपको सेंकोर का स्प्रे लेना है। 100 ग्राम सेंकोर 60 लिटर पानी में मिक्स कीजिये। स्प्रे करते समय आपको रिवर्स चलके स्प्रे करना चाहिये। क्योंकी अगर आप सीधा चल के स्प्रे करेंगे तो स्प्रे करते समय जिस जिस जगा आप पाव रखते जाते है उस जगह के कोटिंग निकलने से उस जगह खरपत आ सकता है।इतना सब सावधानी बरतने के बाद आपके गन्नेके अंकुरि करन 90 /95 परसेंट तक होता है। फिर 25/26 दिनमे सभी प्लाट का निरिक्षन कीजिये।और जिस जिस जगा गैप है उस उस जगह जो एक्सट्रा रोपान लगाया है उसका प्लानटेशन किजिये। रोपान लगाते समय उसका उपरी हिस्सा थोडा कट करके लगाये।नही तो वो सुख जायेगा रोपान लगाते समय पानी डालके लगाये।और तुरंत पानी छोड दे या रोपान लगाते समय हल्की बारिश हो रही है तोक्यू पानी छोडने की भी जरूरत नही है।
सुरेश कबाडे.
गाव:-कारंडवाडी ,तहसील:वालवा,जिला:-सांगली. (महाराष्ट्र)
मोबा:-9403725999.
Remove dried leaves,,
गन्ने के पत्ते निकलनेका काम चल रहा है। एक एकर के लिए 3000 रु. खर्चा आता है। पत्ते निकालनेसे गन्ने का साइज बढ़ जाता है। पत्ते निकलते वक्त जो कमजोर गन्ने है जो खाद खाके मरनेवाले है उनको भी निकालिए।दो महीने के बाद और एक बार पत्ते निकालिए। पहली बार पत्ते निकलते समय एक नालिमे पत्ते डालिए और एक नाली खुला छोडीए। दूसरी बार पत्ते निकालते वक्त अगर हल्की जमीन है तो खुली नालिमे पत्ते डालिए।अगर काली जमीन है जिस जमीन में जल निकास जल्दी नही होता उस प्रकार की जमीन में दूसरी बार पत्ते निकालते वक्त पहली बार जिस नालिमे पत्ते डाले है उसी नालिमे पत्ते डालिए। पते निकालने के बाद दस रनिंग फिट में कीतने संख्या में गन्ने है वो भी देखना अवश्य है।
Mr. Bharat Patel ----BioFertilizer
"सफलता की कहानी"
रामकिशोर चोयल ग्राम आलनपुर जिला हरदा के प्रगतिशील ,शिक्षित कृषक है उनके पास पुश्तैनी 30 एकड कृषि भूमि है जिसमे वे गेहू ,चना, सोयाबीन तथा मूँग फसल लेते है वे हमेशा किसानों को नई तकनीकें अपनाने की सलाह देते है जिससे उनके उत्पादन वृद्धि हो सकें हाल ही मे उन्होंने किसानों को वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल कर उनकी लागत मे कटौती करने मे मदद की और उनकी जमीन की गुणवत्ता को कायम रखना सिखाया है
उनका कहना है जहाँ चाह है वहा राह है वे कहते है मैंने कोई काम करने के बाद पीछे मुड़कर नही देखा।
गॉव से खेत तक खस्ताहाल सड़क होने के कारण जानवरो के लिए हरा चारा लाना मुश्किल होता था ऐसे समय मे जब मजदूर भी आसानी से ना मिले,इन्होंने दो पहिया बाइक मे एक ट्राली का प्रयोग किया जिससे वे पशुओं का चारा एवं आवश्यक कृषि उपयोगी सामग्री अधिकतम 5कुण्टल वजन खेत से घर तक लाते ले जाते है,जिससे ट्रेक्टर का उपयोग एवं मजदूरी दोनों का खर्च बचता है,गावों मे इनके प्रयोग हमेशा कौतुहल का विषय रहते है।
आम किसान यूनियन इनके प्रयोगो से मिले लाभों को लेकर इनको धन्यवाद देता है
रामकिशोर चोयल ग्राम आलनपुर जिला हरदा के प्रगतिशील ,शिक्षित कृषक है उनके पास पुश्तैनी 30 एकड कृषि भूमि है जिसमे वे गेहू ,चना, सोयाबीन तथा मूँग फसल लेते है वे हमेशा किसानों को नई तकनीकें अपनाने की सलाह देते है जिससे उनके उत्पादन वृद्धि हो सकें हाल ही मे उन्होंने किसानों को वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल कर उनकी लागत मे कटौती करने मे मदद की और उनकी जमीन की गुणवत्ता को कायम रखना सिखाया है
उनका कहना है जहाँ चाह है वहा राह है वे कहते है मैंने कोई काम करने के बाद पीछे मुड़कर नही देखा।
गॉव से खेत तक खस्ताहाल सड़क होने के कारण जानवरो के लिए हरा चारा लाना मुश्किल होता था ऐसे समय मे जब मजदूर भी आसानी से ना मिले,इन्होंने दो पहिया बाइक मे एक ट्राली का प्रयोग किया जिससे वे पशुओं का चारा एवं आवश्यक कृषि उपयोगी सामग्री अधिकतम 5कुण्टल वजन खेत से घर तक लाते ले जाते है,जिससे ट्रेक्टर का उपयोग एवं मजदूरी दोनों का खर्च बचता है,गावों मे इनके प्रयोग हमेशा कौतुहल का विषय रहते है।
आम किसान यूनियन इनके प्रयोगो से मिले लाभों को लेकर इनको धन्यवाद देता है
Different Excel File About Different Sugar Cane Variety.
scgin-1.xlsx | |
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scgin-2.xlsx | |
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Know your fertilizer , Very good information by Mr, भारत पटेल करकबेल.
घर बैठे पहचानें असली खाद उर्वरक खेती की अहम जरूरत हैं। खादों की बढ़ती मांग को हुए देखते कई कंपनियों ने नकली खाद बनाना भी शुरू कर दिया है। जो बोवाई के दौरान खपाने की कोशिश की जाती है। क्योंकि ये देखने में लगभग असली उर्वरक जैसी ही दिखती हैं इसलिए इनकी आसानी से पहचान नहीं हो पाती हैं। लेकिन अगर किसान थोड़ी सी जागरुकता दिखाएं तो नकली-असली खाद में आसानी से फर्क किया जा सकता है। नीचे हम आपको बता रहे हैं असली खाद की पहचान के घरेलू तरीके। डीएपी डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मलने पर यदि उसमें से तेज गन्ध निकले जिसे सूंघना मुश्किल हो जाये तो समझें कि ये डीएपी असली है। डीएपी को पहचानने की एक और सरल विधि है। अगर डीएपी के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें यदि ये दाने फूल जाते हैं तो समझें यही असली डीएपी। डीएपी के कठोर दाने भूरे काले एवं बादामी रंग के होते हैं। यह नाखून से आसानी से नहीं टूटते हैं। यूरिया यूरिया के सफेद चमकदार लगभग समान आकार के कड़े दानें पानी में पूरी तरह घुल जाते हैं। ये छूने पर ठंडे लगते हैं। यूरिया को तवे पर गर्म करने से इसके दाने पिघल जाते हैं अगर हम आंच तेज कर दें और इसका कोई अवशेष न बचे तो समझ लें यही असली यूरिया है। जिंक सल्फेट जिंक सल्फेट की असली पहचान ये है कि इसके दाने हल्के सफेद पीले तथा भूरे बारीक कण के आकार के होते हैं। जिंक सल्फेट में प्रमुख रूप से मैग्नीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है। एक जैसे दिखने के कारण इसके असली व नकली की पहचान करना कठिन होता है। डीएपी के घोल मे जिंक सल्फेट का घोल मिलाने पर थक्केदार घना अवशेष बन जाता है। जबकि डीएपी के घोल में मैगनीशियम सल्फेट का घोल मिलाने पर ऐसा नहीं होता है। किसान भाइयों यदि हम जिंक सफेट के घोल मे पलती कास्टिक का घोल मिलायें तो सफेद मटमैला मांड जैसा अवशेष बनता है। यदि इसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिला दें तो ये अवशेष पूर्णतया घुल जाता है। इसी प्रकार यदि जिकं सल्फेट की जगह पर मैग्नीशियम सल्फेट का प्रयोग किया जाय तो अवशेष नहीं घुलता है। सुपर फास्फेट सुपर फास्फेट की असली पहचान है इसके सख्त दाने तथा इसका भूरा काला बादामी रंग। इसके कुछ दानों को गर्म करें यदि ये नहीं फूलते हैं तो समझ लें यही असली सुपर फास्फेट है। ध्यान रखें कि गर्म करने पर डीएपी के दाने फूल जाते हैं जबकि सुपर फास्फेट के नहीं। इस प्रकार इसकी मिलावट की पहचान आसानी से की जा सकती है। सुपर फास्फेट नाखूनों से आसानी से नहीं टूटता है। इस दानेदार उर्वरक में मिलावट बहुधा डीएपी व एनपीके मिक्स्चर उर्वरकों के साथ की जान की आशंका रहती है। पोटाश पोटाश की असली पहचान है इसका सफेद नमक तथा लाल मिर्च जैसा मिश्रण। पोटाश के कुछ दानों पर पानी की कुछ बूंदे डालें अगर ये आपस में नहीं चिपकते हैं तो समझ लें कि ये असली पोटाश है। एक बात और पोटाश पानी में घुलने पर इसका लाल भाग पानी में ऊपर तैरता रहता है।